65 साल में काँग्रेस ने एक ऐसे सोच का बर्ग पैदा कर दिया है जो सरकारों का सिर्फ भयादोहन करता है , जूते खाकर बेगारी करके बहु बेटियो की इज्जत गंवा कर मुगलों अंग्रेजो के राज्य में खुश था लेकिन इस लोकतंत्र में खुश नहीं है । अब मौत के सौदागर , खून के दलाल के नारे कहाँ सुनाई नहीं पड़ते , सम्मान वापसी वाले गैंग पता नहीं किस बिल में छिप गए है. असहिष्णुता कोई मुद्दा नहीं रह गया है बस मुद्दा है तो सिर्फ रेप ! और रेप में भी ढूंढा जाता है की रेपिस्ट या रेप होने वाली महिला किस जाति धर्म या किस पार्टी की है। बिरोधियो के पास चूँकि अब कोई मुद्दा नहीं रह गया लिहाजा वे एक हवाई मुद्दा और पैदा कर लिए है। लोकतंत्र खतरे में है , मोदी सारी लोकतांत्रिक संसथाओ को नष्ट कर रहे है + / नोट बंदी हो गई लोकतंत्र खतरे में पड़ गया , सर्जिकल स्ट्राइक हो गई लोकतंत्र खतरे में पड़ गया , बेमुला आत्म हत्या कर लिया कन्हैया पर मुकदमा कायम हो गया लोकतंत्र खतरे में पड़ गया / कहीं किसी महिला के साथ दुराचार हो गया लोकतंत्र खतरे में पड़ गया / जैसे 2014 से पहले यह सब होता ही नहीं था / पहले भी पक्ष ङ्क बिपक्ष था लेकिन तब बिपक्ष में राहुल कन्हैया जिग्नेश या हार्दिक जैसे लोग नहीं थे , तब दुनिया इतनी छोटी भी नहीं थी लेकिन लोहिया जैसे लोग बोलते समय यह जरुर ध्यान रखते थे की उनके किसी वाक्य से देश की बेइज्जती न होने पाए / लोहिया , नेहरु के सारे दुर्गुणों को जानते हुए भी उनपर कभी ब्याक्तिगत आक्षेप नहीं करते थे / आज के बिपक्षी कितने घटिया किस्म के है की देश और सरकार की बुराई करके ख्याति पाना चाहते है सारी दुनिया के लोग बिपक्षियो पर सिर्फ हंस रहे है क्योकि उपर्युक्त बुराई से सभी देश त्रस्त है /अब ज़रा गौर कीजिये , निर्भया कांड के बाद देश में कितना हाहाकार मचा था . कितने कैंडिल मार्च निकाले गए थे लेकी रेप की घटना घटने के बजाय बढ़ती गई क्योकि जब भी ऐसी घटना होती है तो टारगेट रेपिस्ट को नहीं सरकार को बनाया जाता है । बिपक्षी एक खास फार्मूले पर चल रहे है उन्हें मालुम है की मोदी सरकार वैसे तो गिरने वाली है नहीं लिहाजा उनके एक एक विधायक मंत्री पर रेप जैसे घृणित आरोप लगाए जाय जिससे मोदी सरकार घबडाकर दागियो से इस्तीफा लेता रहे और अल्पमत में होकर खुद ब खुद गिर जाय और मोदी सरकार ऐसा कर भी रही है। आज कन्हैया जिग्नेश के जिस बिचाराधारा से देश का एक बर्ग प्रभावित हो रहा है और डांटकर उसके साथ खडा है उससे लोकतंत्र नहीं देश खतरे में है।
लोकतंत्र नहीं देश खतरे में है।